वर्णिक चतुष्पदी
वर्णिक चतुष्पदी
मापनी- 112 , 112 , 112 , 112
रहना इक मानव सा चलना।
अति सुंदर सा सजना बनना।।
करना नित उत्तम काम सदा।
सबके मनमाफिक तू रहना।।
हतभाग्य नहीं शुभभाग्य बनो।
सबके हित का हर काम चुनो।।
बन नेक अनीति करो न कभी।
मनमोहक भावुक जाल बुनो।।
कर कर्म सदा मनभावन हो।
उर से बहता मधु पावन हो।।
मत सोच कभी क्षति की बतिया।
रचते चल लोक लुभावन हो।।
द्रव अमृत हो सबको रख लो।
मधु स्वाद सदा मन से चख लो।।
हर ओर बढ़ो जगमीत दिखो।
लग सुंदर उत्तम सभ्य भलो।।
Renu
23-Jan-2023 04:56 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:30 PM
Nice 👍🏼
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